नदियों को जोड़ने के लिए मोदी का 5 लाखCr का प्रोजेक्ट, पहले बनेगा केन-बेतवा लिंक:
नरेंद्र मोदी सरकार ने देश की बड़ी नदियों को आपस में जोड़ने के लिए 87 बिलियन डॉलर (करीब 5 लाख करोड़ रुपए) का प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है। एक महीने के भीतर इस पर काम शुरू हो जाएगा। अफसरों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट का मकसद देश को बाढ़ और सूखे से निजात दिलाना है। 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने देश की नदियों को जोड़े जाने का प्रस्ताव रखा था। इसके असर को जानने के लिए एक कार्यदल का गठन किया गया था।
– न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, योजना के पहले फेज को मोदी मंजूरी दे चुके हैं। प्लान के तहत गंगा समेत देश की 60 नदियों को जोड़ा जाएगा। सरकार को उम्मीद है कि ऐसा होने के बाद किसानों की मानसून पर निर्भरता कम हो जाएगी और लाखों हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई हो सकेगी। बीते दो सालों से मानसून की स्थिति अच्छी नहीं रही है। भारत के कुछ हिस्सों समेत बांग्लादेश और नेपाल बाढ़ से खासे प्रभावित रहे हैं। सूत्रों की मानें तो नदियों को जोड़ने से हजारों मेगावॉट बिजली पैदा होगी।
पहले फेज में क्या होगा?
केन नदी पर एक डैम बनाया जाएगा। 22 किमी लंबी नहर के जरिए केन को बेतवा से जोड़ा जाएगा। केन-बेतवा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के एक बड़े हिस्से को कवर करती हैं। बीजेपी नेता संजीव बालियान के मुताबिक, “हमें रिकॉर्ड वक्त में क्लीयरेंस मिल गया है। अंतिम दौर के क्लीयरेंस भी इस साल के अंत तक मिल जाएगा। केन-बेतवा लिंक सरकार की प्रायोरिटी में है।”
– सरकार पार-तापी को नर्मदा और दमन गंगा के साथ जोड़ने की तैयारी कर रही है।अफसरों का कहना है कि ज्यादा पानी वाली नदियों मसलन गंगा, गोदावरी और महानदी को दूसरी नदियों से जोड़ा जाएगा। इसके लिए इन नदियों पर डैम बनाए जाएंगे और नहरों द्वारा दूसरी नदियों को जोड़ा जाएगा। बाढ़-सूखे पर कंट्रोल करने के लिए यही एकमात्र रास्ता है।
योजना में कोई खामी नहीं
सरकार को इस मसले पर सलाह देने वाले इकोनॉमिस्ट अशोक गुलाटी कहते हैं कि व्यवहारिक रूप से नदियों को जोड़ने के प्लान में कोई खामी नजर नहीं आती। इसमें अरबों डॉलर का खर्च आएगा। काफी पानी वेस्ट भी होगा। सबसे पहले हमें वॉटर कंजरवेशन पर जोर देना होगा।